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Women in Indian history part - 4

लोपमुद्रा:-

यह राजकुल में उत्पन्न हुई थी तथा विदर्भ राज की कन्या थी। इनका विवाह अगस्त्य ऋषि से हुआ। यह ऋग्वेद के रचनाकारों में से एक थी। इनके अलावा ऋग्वेद में घोषा, सिकता, अपाला एवं विश्वारा जैसी विदुषी स्त्रियों का उल्लेख मिलता है। इन विदूषी स्त्रियों को ऋषी कहा जाता था।संघमित्रा जो अशोक की पुत्री थी तथा अपने भाई महेन्द्र के साथ बौद्ध धर्म के प्रचार में योगदान दिया।

लीलावती :- 

यह 12 वीं शताब्दी के भारत की एक विदूषि स्त्री थी। इनके पिता प्रसिद्ध गणितज्ञ भास्कराचार्य  थे। और उन्ही के समान यह भी गणितज्ञ थीं। 
गुप्त कालीन विदूषि व साहित्य सृजक  महिलाओं में शीला व भट्टारिका का नाम आता है।  इसी प्रकार औवेयर और नच्चेलियर दो प्रसिद्ध संगमकालीन कवयित्री थी।

अमृता देवी :-

राजस्थान के खेजड़ली(जोधपुर) गांव की एक साधारण महिला जिसने  पेडों की रक्षा के लिए अपनी बली दे दी।
 जोधपुर के महाराजा अभय सिह (1724-1749) के समय उनके हाकिम गिरधारी दास ने खेजड़ी नामक स्थान पर पेडों को कटवाने के आदेश दिये तब अमृता देवी के नेतृत्व में 28/8/1730 को पेड़ों को बचाने हेतु 363 लोगों (294पुरुष,69महिला) ने अपना बलिदान दिया। इतिहास में इसे खेजड़ी आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।
 इस घटना की स्मृति में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी को दुनिया का एकमात्र  वृक्ष मेला आयोजित किया जाता है।

इच्छिनी देवी (12 वी सदी) :-

आबू नरेश की पुत्री थी। इच्छिनी से विवाह को लेकर गुजरात के शासक भीम द्वितीय और पृथ्वी राज चौहान तृतीय के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें पृथ्वीराज की विजय हुई।
इच्छिनी को राजस्थान की पहली महिला सेनापति होने का गौरव प्राप्त है।
तराइन के द्वितीय युद्ध (1192)के पश्चात पृथ्वीराज बंदी बना लिए गए तब उसके बाद गौरी की सेनाओं से इच्छिनी ने सिरसा में युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुई।

रानी पद्मिनी :-

पद्मिनी श्रीलंका के राजा गन्धर्व ससेन की पुत्री व मेवाड के शासक रतन सिंह की पत्नी थी। दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी की सुन्दरता का वर्णन राघव चेतन नामक व्यक्ति से सुना व रानी को पाने के लिए उसने चित्तौड़ (मेवाड) पर आक्रमण कर दिया। इ के अतिरिक्त वह चित्तौड़ को अपने अधीन करना चाहता था।। अलाउद्दीन खिलजी व रतन सिंह के मध्य 1303 में युद्ध हुआ। लडते समय रतन सिंह व उसके सेनापति गोरा बादल वीर गति को प्राप्त हुए।
इसी समय रानी पद्मिनी ने जौहर कर लिया जो चित्तौड़ का पहला साका कहा जाता है। कहा जाता है कि रानी पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ मिलकर जौहर  (चित्तौड़ का पहला साका) किया।
इसी प्रकार कर्मावती ने 13000 महिलाओं के साथ 1534 जौहर(चित्तौड़ का दूसरा साका) किया।
तथा रंगा देवी (रणथम्भौर के चौहान शासक हम्मीर देव की पत्नी) ने जल जौहर (राजस्थान का पहला जौहर) किया।

रमाबाई :-

मेवाड के शासक  राणा कुम्भा (1433-1468) की पुत्री थी। रमाबाई प्रसिद्ध संगीतग्य महिला थी। इन्हें इतिहास में वागेश्वरी के नाम से जाना जाता है। रमाबाई ने जावर में रमा मंदिर और रमा कुण्ड का निर्माण करवाया।

पन्ना धाय:-

यह महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह की धाय माँ थी। बनवीर नामक दासी पुत्र ने मेवाड के शासक विक्रमादित्य की हत्या कर दी तथा उसके पश्चात वह मेवाड के भावी शासक उदय सिंह को मारना चाहता था परन्तु उदय सिंह की धाय माँ पन्नाधाय ने अपने सगे पुत्र चन्दन की बली देकर उदय सिंह की जान बचाई थी। और उन्हे सुरक्षित कुम्भलगढ भेज दिया था।

कुछ मुगलकालीन प्रसिद्ध महिलाएँ:- 

इनमें गुलबदन बेगम - जिसने हुमायूंनामा की रचना की अरबी व फारसी की विदूषि थी। मुमताज महल - शाहजहाँ की प्रिय पत्नी व श्र्ंगार प्रसाधनों व जेवरातों कि बडी विशेषज्ञ थी। अस्मत बेगम-नूरजहाँ की माँ जिन्होंने इत्र बनाने की विधि का आविष्कार किया।


महाराणा प्रताप
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