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शेरशाह सूरी काल

सासाराम का मकबरा

सूर वंश की स्थापना शेरशाह सूरी ने की थी।

  • उसे साम्राज्य निर्माता व प्रशासक के रुप मेंअकबर का अग्रगामी माना जाता है। 
  • साथ ही उसे अकबरसे बडा रचनात्मक प्रतिभाशाली व्यक्ति स्वीकार किया गया है।
  • वह व्यवस्था प्रवर्तक न होकर एक व्यवस्था सुधारक था। 
  • वह एक विश्वासघाती स्वभाव का व्यक्ति था। साथ ही चतुर चालाक व प्रचंड सैनानायक था। 
  • वह  अफगानों के लिए उनका पुनरुत्थान करने वाला व आशा का प्रतीक था। तो वहीं वह एक अनुभवी  व कुशल प्रशासक भी था।।

 केन्द्रीय प्रशासन :-


  •  शेरशाह स्वयं शासन का प्रधान था तथा सभी शक्तियाँ उस में केन्द्रीत थी। अर्थात उसका केन्द्रीय शासन बहुत केन्द्रीकृत था।
  • केन्द्रीय प्रशासन में मुख्यतः चार विभाग थे - 
  • 1.दीवाने वजारत
  •  2.दीवाने आरिज
  •  3. दीवाने रसातल 
  • 4.दीवाने इंशा

 प्रान्तीय प्रशासन :-


  •  शेरशाह  के प्रान्तीय प्रशासन के बारे में कत जानकारी मिलती है। परन्तु कानूनगो के अनुसार शेरशाह  की प्रान्तीय व्यवस्था का आदर्श बंगाल था जिसे उसने 19 सरकारों में बांटा था।।

  सरकार /जिला  प्रशासन :-


  •   प्रत्येक इक्ता या सूबा अनेक सरकारों में बंटा होता था। शेरशाह  ने अपने साम्राज्य को 47 सरकारों में बांटा। 
  • प्रत्येक सरकार में मुख्य दो अधिकारी होते थे
  •  1. शिकदार ए शिकदारान (सैनिक अधिकारी)
  •  2. मुन्सिफ ए मुन्सिफान(न्यायिक अधिकारी)

  परगना-


  •   शेरशाह  ने सरकार को परगनों में विभाजित किया जिसमें एक शिकादार, एक मुंसिफ, एक फोतदार, तथा दो कारकून

  होते थे।

  •   इसके बाद गांव थे जिसमें परम्परागत चौकीदार, पटवारी और प्रधान के हाथ में प्रशासन व्यवस्था थी। इनमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया।

  भू-राजस्व व्यवस्था -


  •   राज्य की आय के मुख्य स्त्रोत लगान, व्यापारिक कर, लावारिस सम्पत्ति, टकसाल, नमक कर आदि थे इसके अलावा जरीबाना व महसिलाना नामक कर भी देने पडते थे। 
  •  शेरशाह  की लगान व्यवस्था मुख्य रूप से रैय्यतवाडी थी जो मुल्तान को छोड़कर उसके सम्पूर्ण साम्राज्य पर लागू थी। 
  •  उत्पादन का 1/3 भाग कर के रूप में वसूला जाता था जबकि मुल्तान में  यह उपज का 1/4 भाग था। 
  • लगान नकद या जीन्स किसी भी तरह देने की छूट थी।

  न्याय व्यवस्था :-


  •   शेरशाह  अपने साम्राज्य का सबसे बड़ा न्यायधीश था तथा प्रत्येक बुधवार को न्याय करने बैठता था। 
  • वह एक न्याय प्रिय शासक था तथा उसका न्याय कठोर व निष्पक्ष होता था। 
  • जबकि परगने, सरकार व गांव में न्याय हेतु अधिकारी थे।

   मुद्रा प्रणाली :-


  •    शेरशाह के काल में 23 टकसालें थी। उनमें से कुछ आगरा, ग्वालियर, आबू, सक्कर, बक्कर(सिंध) आदि जगहों पर थी। 
  • उसने पुराने सिक्कों के स्थान पर शुद्ध चांदी का रुपया (180 ग्रेन) तथा ताँबे कि दाम(380 ग्रेन) चलाया। 
  •   सिक्कों पर शेरशाह का नाम व पद अरबी तथा नागरी लिपि में अंकित होता था।

    स्मिथ के अनुसार यह रुपया वर्तमान ब्रिटिश मुद्रा प्रणाली का आधार है।
 

   सडकें तथा सराएं:-

   शेरशाह सूरी ने बहुत सी सडकों को निर्माण करवाया तथा अनेक पुरानी सडकों की मरम्मत करवाई। उसके द्वारा बनवाई सड़कें :-
   1.आगरा से बुरहानपुर तक
   2. आगरा से जोधपुर होती हुई चित्तौड़ तक।
   3. लाहौर से मुल्तान तक।
   4.बंगाल के सुनारगांव से दिल्ली, लाहौर होती हुई पंजाब के अटक तक जाती थी।

  •    उसने 1700 सरायों का भी निर्माण करवाया।
  •    उसने दिल्ली में दान का लंगर स्थापित करवाया।

   शेरशाह  कालीन इतारतें:-

   1.सासाराम कि मकबरा -

यह पूर्व कालीन शैली की पराकाष्ठा व नवीन शैली के प्रारंभ का प्रतीक माना जाता है।
   2.रोहतास गढ का किला - साम्राज्य के उत्तर पश्चिमी सीमा पर
   3.पुराना किला(दिल्ली)
   4.शेरसूर नगर - कन्नौज नगर को बर्बाद कर


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