किशनगढ:-
- अजमेर व आमेर के मध्य एक छोटी सी रियासत थी।
- किशनगढ़ की स्थापना मारवाड़ के राठौड़ वंशीय नरेश उदय सिंह के पुत्र किशनसिंह(1609-1615) ने की थी।
- लेकिन किशनगढ़ का सबसे महत्वपूर्ण राजा सावंत सिंह था। जो किशनगढ़ शैली के रूप में भारतीय. चित्रकला के इतिहास में शैलीगत उत्कर्ष लाया।
- सावंत सिंह :-
- किशनगढ़ नरेश आरम्भ में एक कवि था इसके अलावा उसने राधा कृष्ण की आराधना के लिए भक्ति संगीत की रचना की।
- उसकी उपनाम नागरीदास था।
- वह अच्छा चित्रकार भी था।
किशनगढ़ शैली:-
- इसे बणी ठणी शेली भी कहते है।
- किशनगढ़ शैली की खोज का श्रेय एरिक डिक्सन व डॉ. फै़याज अली को जाता है।
- बणी ठणी किशनगढ़ के महाराजा सावंत सिंह की प्रेमिका थी।
- सावंत सिंह कृष्ण भक्त थे, इन्होने अपनी प्रेमिका को राधा के रूप में चित्रित करवाया।
- बणी ठणी चित्र का चित्रकार मोरध्वज निहालचंद्र था।
- विशेषता :इस शैली की नायिका राधा(बणी ठणी ) लंबी ,छरहरी,अलौकिक सौंदर्य की प्रतिमा थी।
- वह कमल दल से नेत्र वाली, अलौकिक आभा लिए, दीर्घ व शुक्रवत नुकीली नासिकाा वाली पतले होठ व लम्बी ठोडी वाली, छोटी चोली पर पारदर्शी ओढनी ओढे राधा के रूप मे चित्रित है।
- सफेद और गुलाबी रंग की प्रधानता इस शैली की प्रमुख विशेषताएं हैं।
- एरिक डिक्सन नामक विद्वान ने बणी ठणी को भारतीय मोनालिसा कहा है।
- 5मई 1973 को इस पर डाक टिकट जारी किया गया।
- संदर्भ :-़़ हरिश्चंद्र वर्मा - मध्यकालीन भारत, भाग - 2
- विकिपीडिया
- चित्र गूगल से |
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