शाहजहाँ
- नाम - खुर्रम
- उपाधि - शाहजहाँ
- जन्म-5 जनवरी 1532
- स्थान - लाहौर
- पिता-जहाँगीर
- माता - जगत् गोसांई
- पत्नी - अर्जुमन्द बानू बेगम
- राज्याभिषेक - 14 फरवरी 1628
- स्थान - आगरा
- शासनकाल-31वर्ष
- मृत्यु - 1666
- कारण - बीमारी
- शाहजहाँ का जन्म मारवाड़ के मोटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत् गोसांई के गर्भ से 1592 में लाहौर में हुआ।
- जिस समय जहाँगीर की मृत्यु हुई शाहजहाँ दक्षिण में था अतः मौके का फायदा उठाकर उसके श्वसुर आसफ खां व रखा राज्य के दीवान ख्वाजा अबुल हसन ने खुसरो के पुत्र द्वार बख्श को मुगल सिंहासन पर बैठया।
- किन्तु खुर्रम अर्थात शाहजहाँ ने पहले अपने भाईयों व सभी प्रतिद्वंद्वियों को समाप्त किया तत्पश्चात द्वार बख्श को समाप्त कर 24 फरवरी 1628 की आगरा के तख्त पर बैठा।
- शाहजहाँ का विवाह आसफ खां की पुत्री अर्जुमन्द बानू बेगम जो इतिहास में मुमताज महल के नाम से प्रसिद्ध हुई के साथ 1612 में हुआ।
- शाहजहाँ की मुमताज महल से 14 संताने हुई जिनमें से केवल 4पुत्र - दाराशिकोह,शाहशुजा, मुराद बख्श, औरंगजेब व 3 पुत्रियाँ जहांआरा, रोशन आरा , गौहन आरा जीवित बचे थे।
- इन सभी में जहांआरा सबसे बड़ी थी जिसने शाहजहाँ के साथ अन्तिम समय तक रहकर उसकी सेवा की।
- 1630-32 में मुगल काल का सर्वाधिक भयंकर आकाल पडा।
- 1632 में मुगलों ने पुर्तगालीयों के व्यापारिक केन्द्र हुगली पर अधिकार किया।
- 1633 में शाहजहाँ ने पूरे साम्राज्य में नवनिर्मित हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त करने का हुक्म जारी किया फलस्वरुप इलाहबाद, बनारस, गुजरात व कश्मीर में अनेक हिन्दू मंदिर तोडे गए।
- हिन्दूओं को मुसलमान बनाने के लिये उसने एक पृथक विभाग खोला।
- शाहजहाँ ने 1636-37 में सिजदा(साष्टांग दण्डवत प्रणाम), पायबोस, जमीन बोस आदी को बंद कर दिया तथा उनके स्थान पर चहार - तस्लीम की प्रथा प्रारम्भ की।
- उसने इलाही संवत् के स्थान पर हिजरी संवत् चलाया। हिन्दुओं पर तीर्थयात्रा कर लगाया जिसे कुछ समय बाद हटा लिया।
- अकबर व जहाँगीर के गो - हत्या निषेध सम्बन्धी आदेश को खत्म कर दिया।
- दूसरी तरफ उसने अहमदाबाद के चिन्तामणी मन्दिर की मरम्मत कि आदेश दिया व खम्भात के नागरिकों के विनती पर वहां गो-हत्या बंद करवा दी।
- 1648 में उसने शाहजहांनाबाद नाम से नई राजधानी की स्थापना की।
- शाहजहाँ बहुत ही सुरीला गायन करता था।
- उसके दरबार के राजकवि पण्डित जगन्नाथ(गंगा लहरी व रस गंगाधर के लेखक) थे व चिन्तामणी, कवीन्द्राचार्य, सुन्दरदास आदि हिन्दू लेखक उसके दरबार में थे।
- दाम व रुपये के मध्य आना नामक सिक्के का प्रचलन किया।
- शाहजहाँ को विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा मीर जुमला(मुहम्मद सय्यद) ने भेंट किया था। यह कोहिनूर हीरा गोलकुण्डा की खान से प्राप्त हुआ था।
- आशिर्वादी लाल श्रीवास्तव ने शाहजहाँ के काल को वास्तुकला का स्वर्ण काल कहा है। उसके काल की कुछ इमारतें निम्न है -
- दीवाने - आम(आगरा)
- दीवाने-खास (")
- शीश महल (")
- नगीना मस्जिद (")
- जामी मस्जिद (")
- शाहजहांनाबाद (दिल्ली)
- लाल किला (")
- जामा मस्जिद (")
- शाहबुर्ज (लाहौर)
- ख्वाब महल(")
- ताजमहल
शाहजहाँ के अन्तिम आठ वर्ष आगरा के किले के शाहबुर्ज में एक कैदी की तरह व्यतीत हुए।उसे कैद में औरंगजेब ने डलवाया था|
तथा वही उसकी 1666 में मृत्यु हो गई फिर शाहजहाँ को भी ताजमहल में उसकी पत्नी की कब्र के पास साधारण नौकरों के द्वारा दफना दिया गया।
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