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लाला लाजपत राय
(28 जनवरी 1865-17 नवम्बर 1928)

  • नाम - लाला लाजपत राय
  • जन्म -28 जनवरी 1865 
  • स्थान - लुधियाना, पंजाब
  • पिता -राधा कृष्ण अग्रवाल
  •  माता- गुलाब देवी
  • शिक्षा -वकालत
  • कब-1885
  • उपनाम- पंजाब केसरी, शेरे पंजाब, लालाजी
  • मृत्यु - 17 नवम्बर 1928
  • स्थान- लाहौर 
  • कारण- लाठीचार्ज में लगी चोट
  • कृतियां - अनहैपी इंडिया, इंडियाज विल टू फ्रिडम। 
लाला लाजपत राय गरमपंथी विचारधारा के प्रसिद्ध आर्यसमाजी व सच्चे देश भक्त थे। उनका जन्म पंजाब के लुधियाना जिले में एक वैश्य परिवार में हुआ था 1885 में वकालत पास करके हिसार में वकालत प्रारम्भ की फिर लाहौर चले गये। वे स्वामी दयानंद सरस्वती के प्रभाव में आकर आर्यसमाजी हो गए थे।

  • उनका राजनीतिक जीवन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1888 में इलाहाबाद में हुए अधिवेशन से हुआ।
  •  तत्पश्चात 1905 में  वह गोखले के साथ इंग्लैंड गए ताकि अंग्रेजी लोकमत को भारतीय समस्याओं व इच्छाओं से अवगत करा सकें पर उनके हाथ सिर्फ निराशा लगी।
  •  1907 में पंजाब के किसानों का एक विशाल आन्दोलन संगठित कर उसका नेतृत्व किया इस कारण उन्हेंअजित सिंह के साथ भारत से निष्कासित कर बर्मा भेज दिया गया। 
  • 1920 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन की अध्यक्षता की।
  •  उन्होने असहयोग आंदोलन में सक्रिय रुप से हिस्सा लिया पर वे आन्दोलन को वापस लेने के पक्ष में नहीं थे अतएव बाद में उन्होने स्वराज दल बनाने मे सी. आर. दास की मदद की। 
  • केन्द्रिय विधान सभा में स्वराज दल की तरफ से चुने गए। 
  • वे एक मुखर पत्रकार भी थे उन्होने पंजाबी और बन्देमातरम  पत्र आरम्भ किए। तथा एक अंग्रेजी पत्र 'The people' आरम्भ किया।
  •  इसके अलावा अमेरिका में यंग इंडिया का प्रकाशन किया। 
  • उनकी इंग्लैंड्स डेट्र टु इंडिया, इंडियाज विल टू फ्रिडम, कॉल टू यंग इंडिया और अनहैपी इंडिया आदि कुछ कृतियां हैं।
  • 1928 में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन करने पर उन्हे पुलिस की लाठियों का प्रहार झेलना पडा। जिसके फलस्वरूप 17 नवम्बर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई। 

उन्होने कहा था कि मेरे उपर किया गया लाठी का एक एक प्रहार भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में लगने वाली एक एक कील साबित होगी।
 उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए महात्मा हंसराज के सहयोग से डी. ए. वी. कॉलेज, लाहौर की स्थापना की व नेशनल कॉलेज लाहौर की स्थापना भी की। इसी कॉलेज से भगत सिंह व राजगुरु पढे थे।
वे निःस्वार्थ देश भक्ति, आत्म बलिदान व आत्म त्याग की साक्षात् मूर्ति थे।

 संदर्भ :- चित्र गूगल से, आधुनिक भारत का इतिहास - बी. एल. ग्रोवर, http://m.bharatdiscovery.org

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