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महिला शासिकाएं-2

    1. रजिया सुल्तान (1236-1240):-



गुलाम वंशीय शासक इल्तुतमिश ने अपने उत्तराधिकारी के रुप में ज्येष्ठ पुत्र का चयन करने की सामान्य प्रथा क पालन न करते हुए अपनी पुत्री रजिया को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया तथा चांदी के टंके पर उसका नाम अंकित करवाया  लेकिन उसकी मृत्यु के पश्चात तुर्की अमीरों ने उसके पुत्र रुक्नुद्दीन को गद्दी पर बैठाया।
लेकिन दिल्ली की जनता ने पहली बार उत्तराधिकार के प्रश्न पर स्वयं निर्णय लिया व रजिया को सुल्तान बनाया। वह पर्दा प्रथा त्याग कर पुरुषों के समान काबा कोष पहन कर दरबार में बैठती थी शासन का कार्य स्वयं संभालती थी ।उसने अल्तूनिया से विवाह किया तथा 13/10/1240 को उनकी हत्या कर दी गई

 2 .नूरजहां :-


यह मुगल शासक जहाँगीर की पत्नी थी। इसने जुन्तागुट का नेतृत्व किया। यह जहाँगीर के शासन में बराबर की भागीदार थी। राजकार्यों में बराबर का हिस्सा लिया। मुगल राजाज्ञाओ में उसके भी हस्ताक्षर होते थे। वह जहाँगीर के साथ झरोखा दर्शन देती थी। तथा राजकीय सिक्कों पर नूरजहाँ का नाम अंकित होता था।

 3 .माहम अनगा-

 यह अकबर की धाय माँ थी।  माहम अनगा ने 1560-62 तक पर्दा शासन या पेटिकोट सरकार चलाई। और राज्य की सर्वेसर्वा रही। इन्होंने हुमायूं के साथ मिलकर मदरसा ए बेगम की स्थापना की।

 4 .बख्तुन्निसा-

अकबर की चचेरी  बहन थी। अकबर ने काबुल को जीतकर उसका शासन अपनी चचेरी बहन को दे दिया। 

5. मखदूम जहां(1461-1464):-

 बहमनी शासक हुमायूं (1458-1461) की मृत्यु के समय उसका पुत्र निजामुद्दीन अहमद की आयु केवल 8 वर्ष थी। अतः राजमाता मखदूम जहां ने एक प्रशासनिक परिषद् के सहयोग  जिसमे महमूद गवां सहित चार लोग थे 1461 से 1463 ई. तक राज्य किया। ।इसने अल्पायु में ही अपने पिता द्वारा स्थापित ‘प्रशासनिक परिषद’ के सहयोग से शासन किया।राजमाता 'मकदूम-ए-जहाँ' ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में रखी थी। किन्तु  उनके पुत्र या सुल्तान निजामुद्दीन अहमद की 1462 में बहमनी साम्राज्य पर मालवा के दूसरे आक्रमण के तीन माह बाद ही मृत्यु हो गई थी। उसके बाद राजमाता मखदूम जहां ने भी राजनीति से सन्यास ले लिया।

6. दुर्गावती (1560_1564):-

 यह महोबा की चंदेल राजकुमारी थी। तथा गोडवाना के गढकटंगा राज्य जिसकी राजधानी चौरागढ थी, की शासिका थी। 1564 में अकबर ने इस पर आक्रमण किया था।

7. चांद बीबी सुल्ताना(1595-1596):

 यह अहमदशाही शासक हुसैन निजाम शाह की पुत्री थी तथा इनका विवाह बीजापुर के शासक इब्राहिम आदिलशाह(1534-1558) के पुत्र अली आदिलशाही (1558-1580) के साथ हुआ था। अपने पति की मृत्यु के पश्चात यह पुनः अहमदनगर वापस लौट आई। और अहमदनगर की राजनीति में बडी स्मरणीय भूमिका निभाई। अहमद नगर के शासक बुहरान(1591-1595) की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र इब्राहिम चार माह के लिए गद्दी पर बैठा। इस समय वहां चार गुट बन गये एक का साथ चांद बीबी ने व दूसरे का मियाँ मंझू ने पर कमजोर स्थिति देख मियाँ मंझू ने अकबर से ममद मांगी। और जब मुगल सेना ने अहमदनगर का घेरा डाला तो चाँद बीबी ने अहमदनगर को अपने अधिकार में लेकर अपनी पूरी शक्ति से किले की प्राचीरों कि रक्षा की। पर अंत में उसे समझता करना पडा। तथा दूसरे मुगल आक्रमण के समय चाँद बीबी की मृत्यु हो गई।

रानी कर्णावती:-

 16वी सदी में चित्तौड़ की  शासिका। यह राणा सांगा व इनके पुत्र राव विक्रमादित्य की संरक्षिका थी। जब 1533 में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया तब इन्होने सहायता हेतु हुमायूं को राखी भेजी थी किन्तु वह सही समय पर नहीं आ पाया था । इन्होने बाई सिंह को युद्ध का नेतृत्व सोऔपा और जब वह युद्ध करता हुआ मारा गया उसके बाद इन्होने 13000 महिलाओं के साथ जौहर किया ।

बेगम बडी साहिबा(1656-1663):-आदिलशाही वंश की थी व कुछ समय बीजापुर पर शासन किया।

संदर्भ :चित्र गूगल से।भारत का स्वतंत्रता संग्राम - विपिन चन्द्र। आधुनिक भारत का इतिहास - यशपाल व ग्रोवर ।m.baratdiscovery. Org. Www.allreseschjournal.com.

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