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Some famous thing of Kota, Rajasthan


कोटा जिले का सामान्य परिचय :-

  • प्राचीन नाम-नाग /नन्द ग्राम 
  • अन्य नाम-शिक्षा नगरी,राजस्थान काआधुनिक नालंदा, औद्योगिक नगरी, राजस्थान का कानपुर,
  • कोटा संभाग - 4जिले
  • स्थिति - राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में  

इतिहास :-             

  • समर सिंह के पुत्र जैत सिंह ने 1264 में कोटा के कोटिया भील को पराजित कर कोटा जीत लिया था, और कोटा को हाड़ौती की राजधानी बनाया। 
  • जैत सिंह ने कोटा में गुलाब महल का निर्माण कराया था। 
  • राव रत्न सिंह का पुत्र माधोसिंह ने 1625ई. में अलग से कोटा राज्य की स्थापना की। 
  • शाहजहां ने 1631ई.मेंकोटा को अलग राज्य के रूप में मान्यता दी। 
  • कोटा जिला हाल ही में वर्ड ट्रे ड फोरम में दुनिया का सातवां सबसे भीड  भाड वाला शहर बना है। 


कोटा जिले की विशेषताएं :-


 मुकुन्दरा हिल्स नेशनल उद्यान :-

  • यह कोटा  झालावाड़ व चित्तौड़ जिले में फैला हुआ है। 
  • 2013 को टाईगर रिजर्व घोषित किया गया राजस्थान की तीसरी बाघ परियोजना है। एन. एच 12पर स्थित। 
  • हीरामन तोता, घड़याल, सारस, धोखा वन पाये जाते है। 
  • अबली मीणी का महल, भीम चंवरी इसी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है ।



चम्बल जलीय अभ्यारण्य :-

  • यह राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के चम्बल नदी क्षेत्र में फैला हुआ है। 
  • राजस्थान में इसका विस्तार चित्तौड़  कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर जिलों में है।इसे राष्ट्रीय घड़ियाल अभ्यारण्य के रुप में विकसित किया गया है। 
  • घड़ियाल के अलावा यहां गांगेय सूस, स्तनपायी जन्तु, चपत गंगा डाल्फिन, कछुए पाए जाते है। 


अभेडा महल:-

  • महाराजा उम्मेद सिंह के समय यहाँ मगरमच्छ पाले जाते थे जिनका नाम भी रखा जाता था ।
  • राजा धीर देव ने यहां तालाब बनवाया था। 
  • मुगल काल में यहां आम, जामुन, नारंगी के बाग थे। 


गुलाब  महल:-


  • गढ पैलेस में स्थित है इसका निर्माण जैत सिंह ने करवाया था। 

दानमल जी की हवेली:- 


  • कोटा के मुख्य पुराने बाजार मे स्थित है। 

श्री धर जी की हवेली :-


  • बडे देवता की हवेली :-
  • कोटा के मुख्य बाजार में स्थित बडे देवता की हवेली अपने भित्ति चित्रों व चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है। 

 भीम चंवरी:- 


  • कोटा से 50 कि. मी दूर दरा नामक स्थान पर 4 सदी का शिव मंदिर है।
  •  इसे भीम चौरी भी कहा जाता है। 

विभीषण मंदिर :-



  • कोटा से 16 कि. मी दूर कैथून नामक स्थान पर स्थित है। समंभवत: भारत का एकमात्र विभीषण मंदिर है। 

चार चौमा:- 



  • ।कोटा से 25 कि. मी. दूर चौमा गांव में स्थित यह गुप्त कालीन  शिवालय शिव जी को समर्पित है।
  •  डॉ मथुरा लाल शर्मा ने कोटा का सबसे प्रचीन मंदिर कहा है। 

क्षार बाग की छतरीयां :-

  •  क्षार बाग की छतरीयां कोटा व बूंदी के  हाडा शासको से सम्बन्धित है । यहां हाडा शासकों की छतरीयां स्थित हैं। 


कोटा दुर्ग :-

  • 3 निर्माणकर्ता-कोट्या भील+राव माधोसिंह +जैत सिंह 
  • इसे गढ पैलेस भी कहते है। 
  • कर्नल जेम्स टॉड ने इस दुर्ग के परकोटे को सबसे बडा बताया है। 
  • ज्वाला तोप इस दुर्ग की विशेषता है  


कोटा शैली :-

  • शिकार  के चित्रों की प्रधानता, तथा नीले रंग की प्रधानता इस शैली की विशेषताएं हैं। 
  • इसके अतिरिक्त युद्ध के दृश्यो के चित्र, रानियों द्वारा शिकार खेलते हुए चित्र भी दिखाई पडते हैं। 


कोटा कचौडी :-

  • कोटा की पहचान या विशेषता कोटा कचौडी विदेश में भी प्रसिद्ध है। 
  • यह बहुत ही स्वादिष्ट व चटपटी होती है जिसे चटनी के साथ खाया जाता है। 


कोटा कोचिंग :-

  • वर्तमान में कोटा, कोटा कोचिंगस के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है यहां विज्ञान व गणित की कोचिंग के लिए पूरे देश से विद्यार्थी आते है। 


हैंगिग ब्रिज  :-


  • देश का सबसे बडा व पांचवा हैंगिग ब्रिज है। 
  • इसका निर्माण साउथ कोरिया की हुंडई व भारत की गए न कम्पनी ने किया है  । 
  • हैंगिग ब्रिज का निर्माण 2007 में प्रारंभ हुआ तथा 2017 में पूरा हुआ। 



सेवन वंडर्स :-

 
  • कुछ वर्ष पूर्व ही किशोर सागर तालाब के किनारे  इसे विकसित किया गया है, 
  • इसमें दुनिया के साथ अजूबों का मॉडल बनाया गया है जो कि दर्शनीय है। 



 चम्बल गार्डन :-
  • चम्बल नदी के किनारे स्थित है, इसमें टॉय ट्रेन, झूले, व वाटर बॉटिंग, आदि है। पासही ट्रेफिक गार्डन है। 


कोटा डेम :-

  • कोटा डैम  को कोटा बैराज के नाम से भी जाना जाता है। यह तत्कालीन अवधी का इंजिनियरिंग का चमत्कार कहा जा सकता है। 
  • राजस्थान व मध्यप्रदेश के किसानों के पानी का मुख्य स्रोत है।
  •  1960 की चम्बल घाटी परियोजना के तहत बनने वाला चौथा बांध है। 

जग मंदिर :-

  • किशोर सिंह प्रथम ने किशोर सागर तालाब का निर्माण करवाया। 
  • तथा कोटा के शासक दुर्जनसाल की पत्नी बृज कुवरी ने किशोर सागर तालाब में जग मंदिर का निर्माण कराया था। 


शिवपुरी धाम कोटा :-

  •  इसका दूसरा नाम सहस्त्र शिवलिंगधाम भी है। 
  • यहाँ ॐ के आकार के 525 शिवलिंग स्थापित हैं। तथा भव्य शिवलिंग 11फिट ऊंचा व  वजन 14 टन है।
  •  इसमें  भगवान शिव के 1008 नाम के छोटे छोटे शिवलिंग है। 

कंसुआ  का शिव मंदिर :-

  • 8वी शताब्दी का शिव मंदिर है। 
  • इसमें चतुर्मुखी शिव विराजमान है।
  •  1274 वर्ष पुराने इस मंदिर की दायीं दिवार पर एक शिलालेख है।
  •  यह कण्व ऋषि की तपोभूमि भी है। 


 सरकारी संग्रहीलय:-

  • किशोर सागर तालाब के समीप स्थित ब्रजविलास महल में स्थित है  
  • इसमें दुर्लभ सिक्के, हस्त लिखित ग्रन्थ, मूर्तियां, बाडोली से लायी मूर्तियां आदि रखी गई है। 

राव माधोसिंह संग्रहालय :-

   
कोटा राज्य के प्रथम शासक राव माधो सिह के नाम पर इसका नाम रखा गया है। यह पुराने महल में स्थित है  इसमें कोटा की खूबसूरत पेन्टिंगस, मूर्तियाँ , हथियार, हाडा वंश से सम्बन्धित वस्तुएं रखी हैं। 

 कोटा डोरिया :-

  •  कोटा मसूरिया भी कहा जाता है ।
  •  कोटा डोरिया  एक पारंपरिक गड्ढे लूम पर बुना जाता है कि यह कपड़े पर चौकोर चेक पैटर्न का बनता है। 


 चम्बल एडवेंचर्स :-

  • आज स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोटा में तीन दिवसीय चम्बल एडवेंचर्स का आयोजन किया जाता है  । जिसमें रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। 
  • पेराग्लाइसिग, नौकीविहार, रिपलिंग आदि होते है। 


 दशहरा मेला :-

  • कोटा का दशहरा मेला सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। 
  • इस मेले का आगाज अश्विन शुक्ल दशमी अर्थात दशहरे के दिन से होता है। 


कोटा स्टोन :-

  • कोटा स्टोन या कोटा पत्थर एक प्रकार का महीन दाने वाला चूना पत्थर है। 
  •  जो राजस्थान के कोटा जिले से निकाला जाता है। रामगंजमंडी क्षेत्र (कोटा) में इसकी खाने हैं। 
  • संदर्भ :- भास्कर. कॉम, राजस्थान पत्रिका. कॉम, विकीपीडिया, कोटा जिले का इतिहास - डॉ मथुरा लाल शर्मा  चित्र गूगल से। 
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