1.रानी गैडिनलियु (1915-1981) :-
राष्ट्रवादी नागा नेता जदोनांग द्वारा प्रारम्भ राजनीतिक आन्दोलन का नेतृत्व सत्रह वर्ष की अल्पायु में किया।रानी गैडिनलियु ने मणिपुर से अंग्रेज़ों को खदेडने का प्रयास किया। इस कारण अंग्रेजों को इन्हे परास्त करने व पकडने के लिए नियमित सैनिक टुकड़ियां तैनात करनी पड़ी।
वर्ष 1932 में इन्हे गिरफ्तार कर जेल में ऊकर दिया गया। यह 14 साल जेल में रही।
नेहरू जी ने इन्हें नागाओं की रानी नाम दिया।
2.बीना दास (1911-1978):-
1939 में रिहाई हुई तत्पश्चात इन्होंने भारत छोडो आन्दोलन में भाग लिया। इस दौरान पुनः इन्हे तीन वर्ष की जेल हुई।
1946-1951 तक बंगाल विधानसभा की सदस्या रही। भारत विभाजन के समय नोआखली में दंगा पीड़ितों के लिए पुनर्वास का कार्य किया।
3.कल्पना दत्ता (1913-1978):-
तथा सूर्य सेन के नेतृत्व वाली क्रांतिकारी गुप्त संगठन की सक्रीय सदस्या थी। कल्पना दत्ता ने विभिन्न क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
इन्होंने सूर्य सेन के साथ चटगांव शस्त्रागार आक्रमण भाग लिया इसके लिए इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 1936 में इनकी रिहाई हुई जिसके पश्चात यह साम्यवादी पार्टी में शामिल हो गई।
4.राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964) :-
इनकी शिक्षा इंग्लैंड में हुई। यह महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थी तथा जीवन पर्यंत उनकी शिष्या बनी रही। ये सोलह वर्ष तक महात्मा गांधी की सचिव रही।
1930 में भारतीय महिला सम्मेलन की सचिव बनी तथा 1932- 1933 तक ये महिला एसोसिएशन की अध्यक्ष रही।
राजकुमारी अमृत कौर प्रथम महिला थी जिन्हें शिक्षा सलाहकार बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया।
इन्होंने भारतीय शिष्ट मंडल की सदस्य के रूप में 1945 में लंदन में और 1946 में पेरिस में आयोजित यूनेस्को की बैठकों में भाग लिया। 1947 के पश्चात इन्हे भारत की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया।
5.सरोजनी नायडू (1879-1949):-
सरोजनी नायडू पहली भारतीय महिला थीं जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की अध्यक्षता की। इन्होने 1925 में कानपुर में होने वाले भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के 40 वें अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया फलस्वरुप कई बार इन्हें कारावास की सजा भी हुई। स्वतंत्रता के पश्चात 1947-1948 में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल रही।
6.कस्तूरबा गांधी (1869-1944):-
7.कादम्बिनी गांगुली (1861-1923):-
इन्होने 1882 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।सर्वप्रथम भारत में स्नातक तक की शिक्षा पाने वाली दो महिलाओं में से एक कादम्बिनी गांगुली व दूसरी चंद्रमुखी बसु थी। वे चिकित्सा विज्ञान में सर्वप्रथम स्नातक प्राप्त करने वाली महिलाओं में भी शुमार थी।
इन्होंने चाय बागानों व कोयले की खदानों म काम करने वाले किमगारोंकी स्थिति सुधारने के लिए अपना योगदान दिया।
1889 में मुम्बई में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया। यह प्रथम महिला थी जिन्होंने कांग्रेस के मंच से भाषण दिया।
8.भगनी निवेदिता (1867-1911):-
यह विवेकानंद की शिष्या थी तथा उन्होंने इनका नाम निवेदिता रखा। विवेकानंद इन्हें सच्ची सिंहनी कह कर पुकारते थे और रविन्द्रनाथ टैगोर इन्हे लोकमाता कहते थे।
अरविंद घोष ने इन्हें अग्निशिखा कहा जबकि इंग्लैंड में इन्हें भारत का समर्थक कहा जाता था। इन्होने समाज सेवा हेतु अमेरिका में ' रामकृष्ण गिल्ड अॉफ हैल्प' की स्थापना की। तथा भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में अपना योगदान भी दिया।
संदर्भ :चित्र गूगल से।भारत का स्वतंत्रता संग्राम - विपिन चन्द्र। आधुनिक भारत का इतिहास - यशपाल व ग्रोवर । gandhiheritageportal.org..
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