अकबर द्वितीय (मुगल शासक)
शाहआलम द्वितीय और उसके उत्तराधिकारी केवल नाम मात्र के ही सम्राट थे और अपने अमीरों, मराठों अथवा अंग्रेजों के हाथ की कठपुतलियां थे ।
शाहआलम द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र अकबर द्वितीय मुगल गद्दी पर आसीन हुआ, जोकि एक नाममात्र का शासक था. इसके शासनकाल में अंग्रेजों की शक्ति में तीव्र गति से वृद्धि हुई|
अकबर द्वितीय ( 1806-1837 ई.)
अकबर द्वितीय का जन्म- 22 अप्रेल 1760 को मुकुंदपुर में हुआ| उसके पिता मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय थे| वह मुग़ल वंश का 18वाँ बादशाह था।और उसने 1806-1837 ई. तक शासन किया।वैसे तो वह नाममात्र का ही मुगल शासक था| तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी का पेंशन-भोगी मात्र बनकर ही रहा|
अकबर द्वितीय अंग्रेजों के संरक्षण में बनने वाला प्रथम मुगल बादशाह था, इसके समय में मुगल बादशाहत मात्र लाल किले तक सिमट कर रह गई। तथा भारत का अधिकांश राज्य अंग्रेज़ों के हाथों में चला गया था|दिल्ली पर तो 1803 ई. में ही अंग्रेजों का क़ब्ज़ा हो गया था।
गवर्नर-जनरल का मुगल सम्राट से व्यवहार-
यद्यपि कम्पनी भारत में सर्वश्रेष्ठ बन चकी थी परन्तु बाह्य आडम्बर तथा सम्मान मुग़लों का ही था। अंग्रेज गवर्नर-जनरल भी जब पत्र मुगल सम्राट को लिखता था तब वह एक अर्जुदाश्त (petition) ही होती थी और मुगल सम्राट भी कम्पनी के लिए "हमारा विशेष कृपापात्र भृत्य, आदरणीय पुत्र" इत्यादि शब्दों का प्रयोग करता था। गवर्नर - जनरल की मुद्रा में भी "सम्राट का भृत्य" शब्द लिखे गये थे। इसलिए कम्पनी की सर्वश्रेष्ठता को मनवाने की प्रक्रिया पूर्ण ही नहीं थी।पर जब लार्ड हेस्टिग्ज़ दौरे पर आया तो उसने सम्राट को उस समय तक मिलने से मनाही कर दी जब तक कि पुराना शिष्टाचार इत्यादि समाप्त न कर दिया जाए |और मुगल सम्राट व अंग्रेज गवर्नर-जनरल दोनों बराबरी की अवस्था में न मिलें। हेस्टिंग्ज़ के इस व्यवहार का यह प्रभाव हुआ कि हेस्टिग्ज़ का उत्तराधिकारी एमहस्स्ट 1827 में सम्राट से बराबरी के सम्मान मिला।
ईस्ट इंडिया कम्पनी की ओर से मुग़ल सम्राट को दी जाने वाली सहायता आदि की भी लॉर्ड हेस्टिंग्स ने नज़रबन्दी कर दी।
इसलिए मुगल शासक अकबर द्वितीय ने राममोहन राय को 'राजा' की उपाधि प्रदान की तथा उनसे इंग्लैंण्ड जाकर बादशाह की पेंशन बढ़ाने की सिफ़ारिश करने का आग्रह किया।
28 सितम्बर 1837 ई० में अकबर द्वितीय की मृत्यु दिल्ली में हुई| उसकी मृत्यु के बाद बहादुरशाह द्वितीय (1837- 1862 ई०) अंतिम मुगल सम्राट हुआ।
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