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प्लासी का युद्ध :दिखावा या हकीकत

18 वीं शताब्दी का बंगाल:-

इस समय बंगाल में आधुनिक पश्चिमी बंगाल प्रान्त, सम्पूर्ण बंगला देश, बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे। मुगलकालीन भारत का सबसे समृद्ध राज्य बंगाल ही था। 
1700ई.में मुर्शीद खुली खां बंगाल का दीवान हुआ ➡शुजा ➡सरफराज ➡अलीवर्दी खां ➡सिराज-उद-दौला 1756 में शासक हुआ। 

अंग्रेजों का बंगाल आगमन:-

1633ई. से अंग्रेज आने शुरु हुए, तथा 1651 में बंगाल में अपनी प्रथम कोठी बनाई। वे उसी वर्ष 3000रु मे ं बंगाल बिहार और उडीसा में मुक्त व्यापार की अनुमति शाहशुजा से ले ली। 
1690 ई. ें जॉन चारनॉक ने अंग्रेजी बस्ती के रूप में कलकत्ता की स्थापना की। 1697 ई. एक किले बंद फैक्ट्री बनाई जिसे 1700 में औपचारिक रूप से फोर्ट विलियम नाम दिया गया।  तथा 1717 में मुगल बादशाह फ़रुख़सीयर ने पुरानी व्यापारिक रियायतों की पुनः पुष्टि कर दी साथ ही उन्हे कलकत्ता के आस पास के अन्य क्षेत्र भी किराए पर लेने की अनुमति दे दी।

सिराज-उद-दौला :-

अलीवर्दी खां की मृत्यु के बाद धेवता सिराज-उद-दौला गद्दी पर बैठा, जिसे अपने प्रतिद्वंदी पूर्णियाके नवाब शौकत जंग, मौसी घसीटी बेगम के अलावा अंग्रेजो से भी निपटना था। अंग्रेज उसकी बात नहीं मान रहे थे और उन्होंने घसीटी बेगम को प्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया तथा  बंगाल के भगोडों को शरण दी। इस पर सिराज-उद-दौला ने उनके विरूद्ध अभियान किया। और कलकत्ता पर अधिकार कर उसे मानिक चन्द के सुपुर्द कर स्वयं मुर्शिदाबाद लौट  गया । जिसने बाद में घूस लेकर कलकत्ता को अंग्रेजों को सौंप दिया  । 

ब्लैक होल :-

इस घटना का उल्लेख भी यहाँ पर आवश्यक है, जे . जैड. हॉलवेल के अनुसार 146 अंग्रेजी बंदियों को जिनमें स्त्रियां तथा बालक भी थे को एक कक्ष में बंद कर दिया गया जो कि, 18 फुट लम्बा, 14 फुट 10इंच चौड़ा था  20जून को बंद किया ा और अगली सुबह मात्र 23 व्यक्ति ही जीवित बचे।  शेष घुटने, गर्मी और एक  दूसरे से कुचले जाने से मारे गए। शेष बचाने वालों में जे.जैड. हॉलवेल भी था।  यह घटना बाद में होने वाले युद्ध के लिए प्रचार का कारण बनी रही। तथा प्रतिकार का कारण भी बनी। 

प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 :-


इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा दिखावा प्लासी का युद्ध (1757) था जो कि भारत के निर्णायक युद्धों में की जाती है। इसमें एक ओर अंग्रेजी सेना ने(1100यूरोपिय,2100 भारतीय सिपाही ) क्लाइव के नेतृत्व तो दूसरी ओर 5000 सैनिकों वाली सेना का नेतृत्व तीन राजद्रोही मीरजाफर, यारलतीफ खॉं, और राय दुर्लभ कर रहे थे।

23/6/1757 को प्लासी (मुर्शिदाबाद) में युद्ध हुआ, वफादार मीरदान तथा मोहनलाल वीरगति को प्राप्त हुए। तीनों धोखेबाज सेनापति ♘ युद्ध में बिना एक गोला दागे वापस हो लिए।

नवाब सिराज - उद्-दौला की हत्या कर दी गई।

28/6/1757 को अंग्रेजों ने मीरजफर को बंगाल का नवाब बनाया।

महत्व:

इस युद्ध का कोई सामरिक महत्व नहीं था। बल्कि इस युद्ध के बाद होने वाली घटनाओं के कारण महत्वपूर्ण है । के  एम. पन्नीकर के अनुसार यह एक सौदा था जिसमें बंगाल के धनी सेठों और मीरा जाफर ने नवाब को अंग्रेजो के हाथों बेच डाला। 

इतिहासकार यदुनाथ सरकारी के अनुसार - 23/6/1757 को मध्यकालीन युग का अंत व आधुनिक युग का शुभारंभ हुआ।

डॉ दीनानाथ वर्मा के अनुसार प्लासी का युद्ध एक ऐसे विशाल और गहरे षडयंत्र का प्रदर्शन था, जिसमें एक ओर कुटिल बाघ था और दूसरी ओर भोला शिकार,युद्ध में अदूरदर्शीता की हार हुई और कुटिलता की जीत। यदि इसका नाम युद्ध था तो प्लासी का प्रदर्शन भी युद्ध था। लेकिन सामान्य भाषा में प्लासी में कभी युद्ध हुआ ही नहीं।








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