फ्रांस की राज्य क्रान्ति 1789 :
france ki kranti |
*ओसियाँ रेजिम --
फ्रांस में क्रान्ति से पहले जो राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था प्रचलित थी उसे ओसियाँ रेजिम कहा जाता है |
*क्रांति से पूर्व फ्रांस के वर्ग -
प्रथम स्टेट - उच्च पादरी वर्ग
द्वितीय स्टेट -कुलीन वर्ग
तृतीय स्टेट - मजदूर व कृषक वर्ग
टेले -भूमिकर
गबेले -नमक कर
विनगितमे - आयकर
टेथे - धार्मिक कर ( चर्च द्वारा बसूल किया जाता )
कोरबी बलात मजदूरी (मध्यकालीन भारत में बिकी
फिलाजोइस - दार्शनिक (फ्रांस में )
लई 14 वाँ कहा करता था- "मैं ही राज्य हुँ।
लुई 15 वां निश्क्रिय ,विलासी व अदूरदर्शी था|
लुई 15 वाँ कहा करता था- ' मेरे बाद प्रलय होगी |
वास्तव
● क्रांति के समय लुई 16वाँ शासक था|
" चुँकि मैं चाहता हूँ इसलिए ये कानून है"|
राजवंश -बूर्बो
पत्नी - आॕत्वाँनेत
लेत्र द काशे -रोलेट एक्ट
पहले बड़ी शोचनीय थी।
फ्रांस की राज्य क्रांति का तत्कालीन कारण-
सरकार का आर्थिक संकट
5 मई 1989 -
नये करों की स्वीकृति के लिए स्टेट्स जनरल का उद्घाटन (175 वर्ष बाद लुई 16 द्वारा) इससे पहले 1614 में हुआ था। वित्त मंत्री ब्रियां के कहने पर
टेनिस कोर्ट की शपथ - 20 जून 1789
इतिहासकार हेज ने इसे क्रान्ति का शुभारंभ
फ्रांस की क्रांति में दार्शनिकों का कम योगदान नहीं था
1.दिदरों
कृति - विश्व कोष
2. माण्टेस्क्यू- चार्ल्स लुई डी सैकिण्ड (नाम बचपन का)
कृति-पर्सियन बेटर्स (काल्पनिक कहानियां)
स्प्रिंट ऑफ लॉज ( कानून की आत्मा)
(7 शासन प्रणालीयों का वर्णन)
इन्होंने राजा के दैवीय अधिकारो के सिद्धान्त की कटु आलोचना की।
माण्टटेस्क्यू ने सर्वप्रथम शक्ति पृथककरण के सिद्धान्त (Theory of seperation of powers) की विधिवत स्थापना की
क्रांति में रुसो के बाद माण्टेस्क्यू का दूसरा स्थान है।
3.वाल्टेयर -फ्रान्सवा मारी आरुए (नाम)
-वाल्टेयर ने चर्च को बदनाम स्थान ( Pintame) और बदतमीज चीज कहा।
इन्होने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बल दिया है
"हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो सकता पाऊ लेकिन विचार प्रकट करने की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करूँगा " वाल्टेयर
वाल्टेयर भी क्रान्ति के कम पुरोधा नहीं थे। रोज ने उसके बारे में लिखा है- 'वह फ्रांसीसी विचारों का पूर्ण दर्पण था।'
4.रुसो = जीन जैक्स कसो (नाम)
फ्रांसिसी क्रांति के शीर्ष दार्शनिक
कृति
-New Helo ise
-इस्माइल
- द कन्फेशन्स
- डायलोग्स
- सामाजिक समझौता (Social Contact) सामाजिक समझौता सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक है। (1761)
मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है लेकिन सर्वत्र जंजीरों में जकडा हुआ है | - Social Contract की प्रथम क्रांतिकारी लाइन -
-रूसो के राजनैतिक चिंतन मे चिंतन में समाजवाद, निरंकुशतावाद व लोकतंत्र के बीज विद्यमान है।
फ्रांस की क्रान्ति सम्पन्न वर्ग के विरुद्ध राष्ट्र का एक
व्यापक जन आन्दोलन . था|
"यदि रुसो नहीं होता तो क्रान्ति नहीं होती" - नेपोलियन
- लुई 16 वें ने वित्तीय संकट, करों पर प्रजा की अवमानना, पेरिस की पांलिमा तथा जनसाधारण के बढ़ते दबाव से स्टेट्स जनरल का अधिवेशन 175 वर्ष बाद 5 मई 1789 को वर्साय
के महल में (राजमहल) में आहूत किया गया।
दो सिद्धान्त तय हुए -
1.थर्ड स्टेट की सदस्य संख्या कुलीनों और पादरियों की समान संख्या समान हो ।
2. जनता अपनी समस्त शिकायतों की सूची (काहिए) अपने प्रतिनिधियों को दे |
काहिए -
मतदाताओं द्वारा अपने प्रतिनिधियों के दिये गये शिकायती या स्मृति पत्र|
-मतदान पर थर्ड स्टेट का संघर्ष पादरियों व कुलीनों से हो गया। यही से क्रान्ति का आगाज था|
- गरीब ,कुलीन और छोटे पादरी भी तीसरे वर्ग का समर्थन कर रहे थे।
-> 17 जून 1789 को थर्ड स्टेट ने स्वयं को राष्ट्र सभा घोषित कर लिया & दावा किया कि वे फ्रांस के बहुमत प्रतिनिधित्व करते हैं।
- मिराबो जैसा यथार्थवादी नेता तीसरे वर्ग का नेतृत्व कर रहा
था|
-20 जून जब सम्राट ने वर्साय महल का सभाकक्ष बंद करवा दिया तो तीसरे वर्ग के लोग २० जून 1789 को पास में ही टेनिस कोर्ट पर इकट्ठे हो गये और वहां शपथ ली-
"जब तक संविधान का निर्माण नहीं होगा तब तक हम अलग नहीं होंगे।"
- कुल 600 सदस्य इकट्ठे हुए।
-वास्तव में यह क्रन्तिकारी घटना जिसने फ्रांसीसी राजतंत्र की जड़ों को हिला दिया।
-शपथ समारोह में बेली को सभापति बनाया गया । प्रस्ताव मोनियर का था।
- 27 जून 1789 को तीनो वर्गों के प्रतिनिधियों को सम्राट ने स्टेट्स जनरल की संयुक्त बैठक की अनुमति दे दी। अब राष्ट्रसभा बन गई।
-9 जुलाई 1789 राष्ट्रसभा ने स्वयं को संविधान सभा के घोषित कर दिया ।
-11 जुलाई 1789 को अर्थशास्त्री नेकर की पदच्युत कर दिया गया ।
-इससे फ्रांस में आक्रोश फैला | जनता को सावधान किया गया कि राजा क्रान्ति को नष्ट करना चाहता है अतः जनता को जहां भी हथियार मिले लूट लिये जाए |
- ख़बर फैली कि बास्तील में शास्त्रों का भण्डार है ,14 जुलाई1789 जनता ने बास्तील के किले को नष्ट कर दिया | स्वतंत्रता प्रेमी कैदियों को रिहा कर दिया गया। शस्त्र अस्त्रों को लूट। | यह जनता की विजय व निरंकुशता का पराभव था| वाल्टेयर
- 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। यह National day है।
-इस अवसर पर लुई 16 वें ने कहा- 'अरे यह तो विद्रोह है।' पास खड़े लियांकुर ने कहा- "नहीं सरकार यह क्रांति है।"
- 4 अगस्त 1789 को राष्ट्रीय सभा द्वारा विशेषाधिकारों का अंत कर कर दिया गया। इससे सामंतवादी प्रथा समाप्त हो गयी। और समानता का प्रस्ताव पारित हो गया।
17 अगस्त 1789 को मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी किया गया इसमें लिखा था- "मनुष्य जन्मजात स्वतंत्र व समान है सम्प्रभुता जनता में है, कानून जनता की इच्छा की अभिव्यक्ति है| सभी को विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकारों है|
-एक्टन ने इस घोषणा पत्र के बारे में कहा-" यह कागज का टुकडा नेपोलियन की सेना से अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ |"
- इस पत्र को राष्ट्रीय सभा द्वारा लाफायत के प्रस्ताव पारित किया गया
Phase 2
1. स्त्रियों का वर्साय अभियान (अक्टूबर अभियान) :-
अक्टूबर 1789 में यह क्रान्ति का दूसरा चरण था | इसमें पेरिस से स्त्रियों की भीड वर्साय गयी ,जब 6 अक्टूबर को स्त्रियाँ वापस पेरिस लौटी तो सड़क पर राजा रानी और रोटीवाले उनके साथ चले |इस अभियान का स्लोगन we Want Bread ( हमें रोटी दो )|
- चर्च के पास भूमि का 5 वाँ हिस्सा था इसलिए तालिराँ के प्रस्ताव पर चर्च की सम्पत्ती का राष्ट्रीयकरण कर दिया|
-संवि-सभा द्वारा पादरियों के लिए नये संविधान की घोषणा की गई। जिसेcivilConstitution of the Clegry कहा जाता है।
-जिन पादरियों ने संविधान स्वीकारा वे ज्यूरर व अस्वीकार करने वाले नॉन-पजसयूरर कहलायें ।
- संविधान सभा ने 1991 में फ्रांस के प्रथम लिखित संविधान की रचना की | यह संविधान काहिमाओ पर आधारित था|
- 20 जून 1791 में लुई 16 ने वेश बदलकर फ्रांस से भागने प्रयास किया वह पकड़ा गया ,21जनवरी 1993 मृत्युदण्ड दिया गया देश नया संविधान बनाने के लिए राष्ट्रीय सभागम का चुनाव कराया गया यह Sep 92 से (रा.सभा) -oct 1795 तक रहा|
-इसी में लुई 169 को जिलोटिन पर चढ़ा दिया। इससे इंग्लैंड, हॉलैण्ड, व स्पेन फ्रांस के विरुद्ध होकर युद्ध करने लगे अतः लगे अत: रॉक्सपियर ने आतंक के राज्य की स्थापना की। 5/4/794 को दांते (डाल्टन) को राबससपीयर ने फाँसी दी।
नेशनल कन्वेशन (राष्ट्रीय समागम)
समा के कार्य 2016 RPSC
1.सामंतवाद का अंत
2. मानवाधिकारों की घोषणा
3.चर्च की सम्पत्ती का राष्ट्रीयकरण
4.नवीन संविधान का निर्माण
5.विभाग व कंम्यून में फ्रेंच प्रशासन का विभाजन
फ्रांस की शासन व्यवस्था:-
1.राष्ट्रीय संविधान सभा (1789 -1791)
2.गणराज्य घोषणा- 21 सितम्बर 1992
3.नेशनल कन्वेन्शन (राष्ट्रीय सम्मेलन)-
सितम्बर 1792 -oct. 1795
4.आतंक का शासन - जून 1793 से जुलाई 1994
(दांते व रोब्सपियर)
5.डॉयरेक्टरी का शासन - oct. 1795 - Nov. 1799
(5 सदस्य थे
-- डॉयरेक्टरी का शासन को Now 1799 में भंग कर नेपोलियन प्रधान कौसुल बन बैठा |
रानी ॲध्वनित दी
ऑस्ट्रियन व 'मेडम डेफीसिट' (खर्चीली) के नाम से पुकारी जाती थी डायरेक्टरी के शासन को बैठा।
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