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महाराणा प्रताप


महाराणा प्रताप 


महाराणा प्रताप का संक्षिप्त परिचय :-

  • जन्म - 9 मई 1540
  • स्थान - कटारगढ (कुम्भलगढ)
  • पिता - उदय सिंह
  • माता- जयवन्ता बाई
  • प्रिय घोडा-चेतक
  • राज्याभिषेक - गोगुन्दा (उदयपुर ) 1/3/1572 या28/2/1572
  • द्वितीय राज्यभिषेक - कुम्भलगढ
  • उपनाम-कीका, पाथल
  • चेतक की समाधी-बालेचा गांव (उदयपुर)
  • मृत्यु - 19 जनवरी 1897
  • छतरी-बाडोली (उदयपुर)

  1.  हल्दी घाटी का युद्ध :-

  •  अकबर ने महाराणा प्रताप को अधीनति में लाने के लिए चार प्रस्ताव भेजे किन्तु चारों ही असफल रहे। 
  1. 1572-जलाल खां कोची
  2. अप्रैल 1573-मानसिंह
  3. अक्टूबर 1573- भगवान दास /भगवन्त दास
  4. 1574-टोडरमल
  • प्रस्तावों के असफल होने के पश्चात अकबर के प्रतिनिधि मानसिंह व महाराणा प्रताप के मध्य हल्दी घाटी का युद्ध हुआ।
  • दोनों के मध्य यह युद्ध 18 जून /21 जून 1576 को राजसमंद में हुआ।
  • बूंदियनी ने अपने ग्रन्थ "मुन्तखव उल तवारीख" में हल्दी घाटी के युद्ध को खमनौर का युद्ध कहा है। 
  • अबुल फजल ने हल्दी घाटी के युद्ध को"गोगुन्दा" का युद्ध कहा है।
  • जेम्सटॉड ने हल्दी घाटी के युद्ध को "मेवाड की थर्मोपली कहा है।
  • मानसिंह की ओर से लडने वाले सैनिक आसफ खां ने हल्दी घाटी के युद्ध को जैहाद (धर्म युद्ध) घोषित किया ।
  • यह युद्ध हल्दी घाटी के रक्त तलाई नामक स्थान पर हुआ था। 
  • प्रताप की ओर से युद्ध कि नेतृत्व एक मात्र मुस्लिम सेनापति हकीम खां ने किया था। 
  • इसके अलावा प्रताप की ओर से भील जनजाति ने भी भाग लिया था । जिसमें से पूजा भील प्रमुख थे।

  • दिवेर का  युद्ध :-

  • इतिहास प्रसिद्ध दिवेर का युद्ध 1582 में महाराणा प्रताप व अकबर के प्रतिनिधि सुल्तान खां मध्य हुआ। 
  • युद्ध में महाराणा प्रताप विजयी रहे। 
  • जेम्स टॉड ने दिवेर के युद्ध को " मेवाड का मेराथन" कहा है। 

  • महाराणा प्रताप की राजधानीयां:-

  • महाराणा प्रताप ने तीन राजधानीयां बनाई थी। 
  1. 1576-आवरगढ(उदयपुर) 
  2. 1580-कुम्भलगढ (राजसमंद) 
  3. 1585-चावण्ड(उदयपुर) 
  • चावण्ड 1585 से 1615 तक मवाड की राजधानी रही। 
  • चवण्ड में महाराणा प्रताप ने चामूंण्डा माता  का मंदिर बनवाया। 
  • हरिहर मंदिर (उदयपुर) का भी निर्माण करवाया । 
  • पाली निवासी भामाशाह ने प्रताप की संकट के समय वित्तीय सहायता की थी। 
  • महाराणा प्रताप का सबसे विश्वसनीय हाथी रामप्रसाद था। 
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु 19 जनवरी1597 में चावण्ड में हुई थी। 
  • चावण्ड  से ढाई मील दूर बाडोली (उदयपुर) में इनका अन्तिम संस्कार किया गया तथा वहीं पर आठ खम्बों की छतरी बनी हुई है । 
  • महाराणा प्रताप ने अपनी मृत्यु से पूर्व चित्तौड़ व माण्डल गढ को छोडकर पुनः सम्पूर्ण मेवाड पर अधिकार कर लिया था । 
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु के बाद 1615 में मुगल शासक. जहाँगीर व महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह के मध्य में संधि हुई। 
  • संदर्भ :चित्र गूगल से।मध्यकालीन भारत का इतिहास-हरिश्चंद्र वर्मा। 
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2 Comments

  1. MAHARANA PARTAP WAS GRATE KING OF INDIA HE LIKES FREEDOM NOT LIKE SLAVERY

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  2. I salute the greatest King of Mewar Maharana Pratap who defeated Akbar so many times

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