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जयपुर धार्मिक पर्यटन




  •  वर्तमान जयपुर शहर का निर्माण कछवाहा वंश के शासक सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था।
  •  उन्होंने 18 नवंबर 1727 को जयपुर राज्य की नींव रखी। 
  • सवाई जय सिंह द्वितीय की वास्तु शास्त्र में गहन रुचि थी अतः उन्होंने जयपुर का निर्माण भी इसी अनुसार करवाया।
  •  जयपुर का वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य था।
  •  सन्1729  में जाकर जयपुर का निर्माण पूरा हुआ।तथा 1729 में सवाई जय सिंह ने आमेर के स्थान जयपुर को कछवाहा वंश की राजधानी बनाया।
  •  जयपुर को गुलाबी नगरी या पिंक सिटी के नाम से तो सभी जानते हैं किन्तु इसे और भी कई नामों से जाना जाता है जैसे -
  • पूर्व का वेनिस
  •  हेरिटेज सिटी /विरासत शहर (वर्ड क्राफ्ट कांसिल द्वारा दिया गया नाम)
  • पन्ना /रत्न नगरी
  • जोलीवुड
  • इसके अलावा सी. वी. रमन ने इसे वैभव का द्वीप, रंग श्री का द्वीप, शान का द्वीप, आइसलैंड अॉफ ग्लोरी कहा है।
  • और अगर इतिहास में जाकर देखें तो पाएंगे कि तब इसका नाम अलग हुआ करता था।
  •  पहले जयपुर व दौसा  मिलकर ढूंढाड क्षेत्र कहलाता था। 
  • अजमेर, सांभर (जयपुर) क्षेत्र शाकाम्भरी या सपादलक्ष कहलाता था। 
  • यहां पर बहुत से दर्शनीय स्थल हैं उन में से कुछ धार्मिक स्थलों  का वर्णन नीचे किया जा रहा है। 

 1. सांगानेर दिगम्बर जैन मंदिर :-


यह जयपुर का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ मूलनायक भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है।
पहले इस स्थान पर एक विशाल बावडी थी जिसके किनारे एक जिन चैत्यालय था जो तल्ले वाले मंदिर के नाम से जाना जाता था। आठवीं सदी में वैशाख शुक्ल तीज के दिन पश्चिम दिशा से बिना महावत का एक गजरथ आया जो इस चैत्यालय के पास रुका तब सेठ भगवान दास जी ने इस मूर्ति को मंदिर में विराजमान किया तत्पश्चात सेठ जी ने यहाँ नया मंदिर बनवाया। कहते हैं यह मंदिर सात मंजिला है 2 व 5 मंजिल नीचे हैं।  नीचे की मंजिल में स्थित जिन चैत्यालय में केवल बालयति दिगम्बर साधु ही साधना के बल पर प्रवेश कर सकते हैं।

2.बिडला /लक्ष्मी नारायण मंदिर :-


जयपुर के मुख्य आकर्षणों में से एक बिडला मंदिर बिडला परिवार द्वारा बनवाया गया है।
यह भगवान विष्णु को समर्पित हिन्दू मंदिर है।
इस मौदिर के निर्माण में शुद्ध सफेद मार्बल का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में लक्ष्मी नारायण की मूर्ति स्थापित की गयी है।
यह मंदिर आधुनिक कला द्वारा निर्मित है। व आन्तरिक भाग में हिन्दू देवी-देवताओं तथा पौराणिक चित्रों को चित्रित किया गया है। यहां एक म्यूजियम भी है।

3.चूलगिरी दिगम्बर जैन मंदिर:-


यह मंदिर घाट की घूणी (जयपुर - आगरा रोड ) के पास चूलगिरी पहाड़ी पर स्थित है।
इसका निर्माण 1953 में देश भूषण महाराज की प्रेरणा. से  करवाया गया।
इस मंदिर में मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की खड्गासन प्रतिमा विराजमान है।
इसके अलावा इस मंदिर में चरण चौबीसी, चौबीसी, व तीन बडी प्रतिमा हैं।
हर वर्ष मई माह में यहां उत्सव होता है।

4.अक्षरधाम मंदिर :-


जयपुर के वैशाली में स्थित यह मंदिर अत्यन्त आकर्षक है।
यह भगवान नारायण को समर्पित हिन्दू मंदिर है।
इस मंदिर की वास्तुकला व नक्काशी बहुत सुन्दर व दर्शनीय है।
मंदिर के सामने बगीचा व फव्वारे इसकी सुन्दरता और बढा देते हैं।एक तरफ बच्चों के लिए झूले आदि लगे हुए हैं।

5.दिगम्बर जैन मंदिर, पदमपुरा (बाडा) :-




यह मंदिर जयपुर की चाकसू तहसील में स्थित है। तथा राज मार्ग संख्या, - 2.जयपुर - कोटा रोड पर है।
इस मंदिर में मूलनायक भगवान पद्मप्रभू की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है।
यह प्रतिमा वैशाख शुक्ल पंचमी संवत् 2001(1944) को भूगर्भ  से निकली थी।
इस मंदिर हेतु मोहरी लाल गोधा ने जमीन दान की थी।
यहां यात्री निवास, भोजनशाला आदि की भी व्यवस्था है।

6.मोती डूंगरी:-


यह भगवान गणेश को समर्पित  जयपुर का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। तथा जयपुर वासियोंं की आस्था का केन्द्र है।
यहां स्थापित गणेश जी की प्रतिमा को जयपुर के राजा मधोसिंह की पत्नी के पीहर मावली से लाया गया था।
इस मूर्ति को सेठ पल्लीवाल लाए थे और उन्ही की देखरेख में इस मंदिर का निर्माण किया गया। मान्यता है कि इस मंदिर में बुधवार को अपने वाहन की पूजा कराना शुभ फलदायी होता है।

7.गोविन्द देव जी का मंदिर :-

यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। तथा यह जयपुर के अराध्य देव हैं।
यहां स्थापित कृष्ण की मूर्ति पहले वृन्दावन मं में विराजमान थी।
जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1714 में इसे आमेर मे स्थापित किया तत्पश्चात 1734-35 में जयपुर में मंदिर बनवाकर वहां प्रतिष्ठापित किया।
यह मंदिर ही गोविंद देव जी के मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान में गोडिय सम्प्रदाय की पहली पीठ माना जाता है।

8.श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र छोटा गिरनारजी:-

यह मंदिर जयपुर की चाकसू तहसील में बापू गांव में स्थित है।इस मंदिर की मूलनायक भगवान नेमिनाथ की प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा संवत् 1826 को प्रतिष्ठित हुई थी अतः लगभग 250वर्ष प्राचीन है। मुनिश्री 108 प्रज्ञासागर जी महाराज कू सानिध्य में 18/11/2015 को इस मंदिर का शालान्यास हुआ तथा 2016 में इसका पंचकल्याणक हुआ। यहां छोट गिरनार का निर्माण, 80 फुट ऊंची पकाडी पर पांच टोंक, शेषावन, राजुल गुफा, झरना, आदि हैं।

9.शीला देवी का मंदिर :-

यह मंदिर आमेर  जयपुर में स्थित हैं। इनकी मूर्ति 'अष्ट भुजी भगवती महिषासुर मर्दनी' केरुप में है।
जयपुर के महाराजा मान सिंह इस प्रतिमा को बंगाल से लेकर आए थे।
आमेर के महल में इनका मंदिर स्थित है ।
इस मंदिर पर शुद्ध चांदी के द्वार लगे हैं।

10.शीतला माता का मंदिर:-

यह मंदिर चाकसू, में शील डूंगरी पर्वत पर  स्थित है।
यह राजस्थान में सर्वाधिक पूजी जाने वाली देवी है
 इनके अन्य नाम चेचक की देवी, महामारी, सैढल माता आदि है।
इनका वाहन गधा है। तथा पुजारी कुम्हार जाति का होता है।
इसका निर्माण सवाई माधो सिंह प्रथम ने करवाया था
इनकी पूजा खण्डित रुप में कई जाती है।
शीतलाअष्टमी पर यहाँ मेला लगता है। यही पर गधों का मेला भी लगता है।
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