भारत विविधताओं का देश है यहां हर राज्य की अलग विशेषता व अलग पर्यटन है उनमें से भारत में पर्यटन के तीन प्रमुख केन्द्र माने जाते हैं
1.जम्मू कश्मीर
2.गोवा
३.राजस्थान
- एक सर्वे में पाया गया कि भारत आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान अवश्य आता है।
- और विदेशी पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से राजस्थान में तीन स्थान निम्न हैं -
1.जयपुर
2. पुष्कर
4. उदयपुर
- इनमें भी जयपुर में सर्वाधिक पर्यटक आते हैं इस का एक कारण जयपुर का स्वर्णिम त्रिकोण या गोल्डन ट्रायंगल पर स्थित होना है।
- आमेर (जयपुर) राजस्थान में सबसे ज्यादा राजस्व प्रदान करने वाला पर्यटक स्थल है।
- च अक्टूबर से दिसंबर के बीच सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों का आगमन राजस्थान में होता है।
- सर्वाधिक विदेशी पर्यटक राजस्थान में फ्रांस से आते हैं। त
- तथा राजस्थान में घरेलू पर्यटक सर्वाधिक माउण्ट आबू व अजमेर आते हैं।
- जयपुर के कुछ प्रसिद्ध पर्यटक स्थल यहा दिए जा रहे हैं -
हवा महल :-
- इस का निर्माण 1799 ई. में जयपुर के राजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया था।
- हवा महल का वास्तुकार लाल चन्द्र था।
- यह पांच मंजिला महल है जिसकी आकृति मुकुट के समान है।
- नीचे से ऊपर की ओर इसकी पांच मंजिलें क्रमशः निम्न है-
- शरद
- रत्न
- विचित्र
- प्रकाश
- हवा मंजिल
- इस महल में 365 झरोके व 953 खिड़कियां हैं।
- 2008 में इस पर डाक टिकट जारी किया गया।
- RSNA(राना) द्वारा इसे संरक्षण प्रदान करने हेतु गोद लिया गया है।
- अल्बर्ट हॉल:-
- अल्बर्ट हॉल का निर्माण 1876ई. में राम सिंह द्वितीय के समय प्रिन्स अॉफ वेल्स "अल्बर्ट" के आगमन के उपलक्ष्य में करवाया गया।
- इसका वास्तुकार जैकब था।
- वर्तमान समय में यहां संग्रहालय संचालित है जिस में प्रसिद्ध मानव ममी रखी हुई है।
- ईसर लाट /सागरसूली:-
- इसका निर्माण 1749 ई. में महाराजा ईश्वरी सिंह ने करवाया था
- ईश्वरर सिंह ने इसे टोंक विजय के उपलक्ष्य में निर्मित करवाया था।
- जयगढ दुर्ग:-
- उपनाम - चिल्ह का टीला
- निर्माण कर्ता-मिर्जाराजा जय सिंह
- यहां एशिया की सबसे बड़ी तोप स्थित है जिसका निर्माण सवाईजय सिंह ने करवाया।
- इस दुर्ग में एक लघु दुर्ग "विजयगढी" भी स्थित है। इसे कछहावा राजाओं के शस्त्रागार के रुप में प्रयोग किया जाता था।विजयगढी में दिवा बुर्ज नामक एक प्रकाश स्तम्भ स्थित है।
- नाहरगढ दुर्ग :-
- उपनाम - सुदर्शन गढ/ सुलक्षण गढ /जयपुर का मुकुट
- निर्माण कर्ता, - सवाई जयसिंह
- सवाई माधो सिंह ने यहां अपनी नौ प्रेमिकाओं के लिए एक जैसे नौ महलों का निर्माण करवाया था।
- चौमूहागढ :-
- चौमू, जयपुर में स्थित है
- उपनाम - धारधारगढ
- निर्माता - कर्ण सिंह
- इस दुर्ग में हवा मंदिर महल , बेगम समरू की समाधि, देवी निवास महल आदि दर्शनीय स्थल हैं।
- आमेर दुर्ग :-
- उपनाम - अम्बेर दुर्ग
- निर्माण कर्ता - दुल्हेराय +कोकिल देव
- इस दुर्ग में दिवाने आम, दिवाने खिस, केसर क्यारी बाग, आदि दर्शनीय स्थल स्थित है।
- नाहरगढ वन्य जीव अभयारण्य :-
- यह राजस्थान का पहला राष्ट्रीय जैविक उद्यान है।
- भालूओ को स्थापित करने के लिए यहां पर "बीयर रेस्क्यू सेन्टर भी स्थापित किया गया है।
- जयपुर जन्तुआलय :-
- यह राजस्थान का सबसे छोटा व सबसे पुराना जन्तुआलय है इसकी स्थापना 1876 ई. में हुई थी।
- यहां विभिन्न प्रकार के जानवर जैसे शेर, हिरण, बारहसिंगा , लोमड़ी मगरमच्छ, आदि हैं।ऐसे
- यह जन्तुआलय मगरमच्छ प्रजनन हेतु प्रसिद्ध है।
- जल महल जयपुर :-
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इस महल का निर्माण जयसिंह द्वारा करवाया गया था।
यह जयपुर की मानसागर झील के मध्य एक एतिहासिक स्थल है।
इस महल का आकार वर्गाकार है तथा दो मंजिला है जिसमें मेहराब, बुर्ज और छतरीयां बनी हुई हैं।
अब यह पक्षि अभ्यारण्य के रुप में विकसित हो रहा है।
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लैंड स्करेप पार्क :-
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यह पार्क द्रव्यवती नदी के सौंदर्यीकरण के तहत बनाया गया है। तथा शिप्रापथ मानसरोवर में स्थित है।
द्रव्यवती नदी जो शहरीकरण के कारण अमानीशाह नाला बन गयी थी अब सौंदर्यीकरण के तहत उसके दोनो तरफ पार्क बनाए गये हैं।
जो लैंड स्करेप पार्क कहलाता है। यहां उद्यान, म्यूजियम, कैफे आदि भी बनाए गए हैं। तथा वाई - फाई, आई कियोस्क, स्मार्ट डस्टबीन, सार्वजनिक शोचालय, फुटपाथ और स्ट्रीट लाइट भी हैं।
इसके अलावा पानीपेंच पर इस नदी पर द्रव्यवती बर्ड पार्क भी बनाया गया है। - संदर्भ :- चित्र गूगल से , राजस्थान पत्रिका, राजस्थान सुजस, विकीपीडिया,
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