देशभर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ दिवाली पर आतिशबाजी की छूट दी है। जैसे कि रात को दो घंटे 8-10 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकेगें। साथ ही ग्रीन पटाखे जलाने व बेचने की बात कही है।
अब प्रश्न उठता है कि यह ग्रीन पटाखे है क्या? वेसे तो भारत में मुगल काल से ही पटाखे जलाए जा रहे हैं। किन्तु ग्रीन पटाखे नये है। दुनिया में पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है, भारत पटाखे उत्पादन में दूसरे स्थान पर है । यहाँ पर तमिलनाडु का सिवाकाशी स्थान पटाखा उत्पादन का गढ माना जाता है।
अब प्रश्न उठता है कि यह ग्रीन पटाखे है क्या? वेसे तो भारत में मुगल काल से ही पटाखे जलाए जा रहे हैं। किन्तु ग्रीन पटाखे नये है। दुनिया में पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है, भारत पटाखे उत्पादन में दूसरे स्थान पर है । यहाँ पर तमिलनाडु का सिवाकाशी स्थान पटाखा उत्पादन का गढ माना जाता है।
ग्रीन पटाखे :-
सामान्य पटाखों की तरह ही ग्रीन पटाखे 🎇 भी दिखते, जलते, तथा आवाज 🔉 करते हैं। फिर भी ये जलने पर सामान्य पटाखों से लगभग 50% कम प्रदूषण करते हैं।
खोज :-
औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (CSIR) की संस्था नारी अर्थात राष्ट्रीय पर्यावरण अभियान्त्रिकी अनुसंधान संस्थान ने की है।
ग्रीन पटाखों के प्रकार :-
तीन प्रकार के हैं -
- सेफ वाटर रिलीजर:- ये ग्रीन पटाखे जलने के साथ ही पानी पैदा करते हैं, जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं।
- स्टार क्रेकर:- सामान्य पटाखों से कम सल्फर व नाइट्रोजन पैदा करते हैं । इनमें एल्यूमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है।
- अरोमा क्रेकर:- एेसे पटाखे जो प्रदूषण कम करते है साथ ही खुशबू भी पैदा करते हैं।
पर यह पटाखे 🎇 अभी बाजार में नहीं आये है क्योंकि यह टेस्टिंग पिरियड में ही हैं। और जब तक सरकार इन्हें सर्टिफाइड नहीं करेगी तब तक ये उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
संदर्भ - नेट से
News 18 hindi
BBC news
Navbhartimes
1 Comments
SUPREME COURT HI BATA DE KAUN SE PATAKHE GREEN HAI, NAME BHI TO BATANE CHAHIYE
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