राजस्थान का सामान्य परिचय :-
- राजस्थान भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित है।
- इसका क्षेत्रफल 342239 वर्ग कि. मी है।जो सम्पूर्ण भारत का 10.41%है।
- राजस्थान की आकृति विषम चतुष्कोणीय /असमान चतुष्भुजाकार है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है।
- राजस्थान की वर्तमान जनसंख्या 6,86,21,012 व्यक्ति है। जो सम्पूर्ण जनसंख्या का लगभग 6%है।
- जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान देश का आठवां राज्य है।
- राजस्थान की स्थलीय सीमा की कुल लम्बाई 5920 कि. मी. में से अन्तर्राष्ट्रीय सीमा 1070 कि. मी. के अतिरिक्त राजस्थान की शेष स्थलीय सीमा की लम्बाई 4850 कि. मी. है।
- 1800 ई. में जार्ज थामस ने राजपुताना नाम दिया।
- 1829 में कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी किताब एनल्स एडं एन्टीक्वीटीज आफ राजस्थान में रायथान/राजस्थान कहा।
- 18/3/1948 को इसका एकीकरण प्रारम्भ हुआ, और 19 देशी रियासतें, 3 ठिकाने , 2 अंग्रेज शासित प्रदेश मिलकर 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान का वर्तमान एकीीकृ स्वरूप सामने आया।
- वर्तमान में राजस्थान में 7 संभाग है व इनमें 33 जिले है।
- राजस्थान की कुछ विशेषता :-
राजस्थान की कुछ खासियतें है जो उसे सबसे अलग बनाती है व विश्व प्रसिद्ध बनाती है। इन विशेषताओं में यहां का खाना, पहनावा, महल, हवेली, नृत्य, किले, अभ्यारण्य, चिकित्सीय खोज, आदि और भी बहुत कुछ है ।
- यूनेस्को की सूचि में राजस्थान की विरासत:-
- 1.केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान,भरतपुर :-
इसे घाना पक्षी विहार, पक्षीयों का स्वर्ग, या बर्ड पेरेडाइज भी कहा जाता है।
- 2.थेव कला:-
प्रसिद्ध स्थान- प्रताप गढ़
कार्य- कांच के पात्रों पर सोने के बारीक तारों की जडाई। यह राजस्थान की एक मात्र कला है जिसे एनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका नामक विश्व कोष में स्थान दिया गया है।
- 3.जयपुर का जंतर मंतर:-
यह एक खगोलीय वेद्यशाला है। जिसमें 14 प्रमुख यंत्र हैं।
इसका निर्माण सवाई जय सिंह ने 1724-1734 के मध्य करवाया था।
2010 में UNESCO की विश्व विरासत सूचि में इसका नाम शामिल किया गया।
- 4.कालबेलियों के नृत्य:-
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इन नृत्यों को संरक्षित करने मे कालबेलिया जनजाति का विशेष योगदान है।
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कालबेलिया नृत्य के प्रसिद्ध कलाकार गुलाबो, व रूप नाथ हैं।
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गुलाबो की पोशाक को RAJFEX में स्थान दिया गया है। कालबेलिया नृत्यो़ं को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।
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- 5.राजस्थान के पहाड़ी दुर्ग :-
- 1 चित्तौड़गढ़ :-
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इसे चित्रकूट दुर्ग, किलों का सिर मौर, राजस्थान का गौरव, कहा जाता है।
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इसका निर्माण चित्रांग मौर्य ने 8वी शताब्दी में करवाया था। इसमें तीन प्रसिद्ध साकेत हुए।
- 2.कुम्भलगढ का किला (राजसमन्द) :-
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- निर्माण कर्ता:- महाराणा कुम्भा
- उपनाम- मेवाड की आँख
- मेवाड की संकटकालीन राजधानी
अबुल फजल ने इसके बारे में कहा है कि - यह इतनी ऊंचाई पर स्थित है कि देखने वाले की पगड़ी गिर जाए।
- 3. रणथम्भौर का किला(सवाई माधोपुर) :-
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- निर्माण कर्ता- रणथम्भन देव(रन्ति देव) चौहान
- उपनाम-रणतपुर, एरण दुर्ग
- अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा है कि - राजस्थान के सभी दुर्ग नग्न है पर यह बख्तर बन्ध है।
- 4.गागरौन का किला (झालावाड़ )
- निर्माण कर्ता-डोडा राजपूत
- उपनाम-धूलरगढ, डोडगढ, खींची वाडा
- यह आहू व कालीसिंध, नदियों के संगम पर बना राजस्थान का प्रसिद्ध जल दुर्ग है।
- 5.आमेर का किला (जयपुर) :-
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- निर्माण कर्ता- दूल्हेराय +कोकिल देव
- उपनाम- अम्बेर दुर्ग
इस दुर्ग में दिवानेआम महल, दिवाने खास महल, केसर क्यारी भाग, मावठा, झील आदि दर्शनीय स्थल हैं।
इसे घाना पक्षी विहार, पक्षीयों का स्वर्ग, या बर्ड पेरेडाइज भी कहा जाता है।
यह एक खगोलीय वेद्यशाला है। जिसमें 14 प्रमुख यंत्र हैं।
इसका निर्माण सवाई जय सिंह ने 1724-1734 के मध्य करवाया था।
2010 में UNESCO की विश्व विरासत सूचि में इसका नाम शामिल किया गया।
इन नृत्यों को संरक्षित करने मे कालबेलिया जनजाति का विशेष योगदान है।
कालबेलिया नृत्य के प्रसिद्ध कलाकार गुलाबो, व रूप नाथ हैं।
गुलाबो की पोशाक को RAJFEX में स्थान दिया गया है। कालबेलिया नृत्यो़ं को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।
इसे चित्रकूट दुर्ग, किलों का सिर मौर, राजस्थान का गौरव, कहा जाता है।
इसका निर्माण चित्रांग मौर्य ने 8वी शताब्दी में करवाया था। इसमें तीन प्रसिद्ध साकेत हुए।
6.सोनार का किला (जैसलमेर) :-
- निर्माण कर्ता- राव जैसल
- उपनाम - स्वर्ण गिरी दुर्ग उत्तर भड किवाड
- इस दुर्ग में 99 बुर्ज है
- यहां के ढाई साकेत प्रसिद्ध हैं।
- अन्य विश्व प्रसिद्ध चीजें :-
- देलवाडा के जैन मंदिर, सिरोही. :-
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1.आदिनाथ मंदिर (विमल ही) - विमल आह ने बनवाया
2.नेमिनाथ मंदिर (लूवणसही) - तेजपाल+वस्तुपाल ने बनवाया।
- अजमेर शरीफ दरगाह, अजमेर. :-
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यह ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है जो एक सूफी संत थे। इन्हें हजरत ख्वाजा गरीब नवाज भी कहते हैं।
- , जयपुर फुट :-
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इस रबर से बने कृत्रिम पैर का निर्माण डॉ प्रमोद करण सेठी के मार्गदर्शन में श्री रामचन्दर शर्मा ने 1969 मे किया।
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जिनका पैर घुटने के नीचे से क्षतिग्रस्त अथवा कटा हो उन लोगों के लिए यह पैर उपर्युक्त है।
- थार का रेगिस्तान:-
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पश्चिम का रेतीला मैदान जो थार का मरुस्थल कहलाता है राजस्थान के 61% भाग पर फैला हुआ है। तथा यहां राजस्थान की 40% जनसंख्या निवास करती है।
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यह विश्व का नवीनतम मरुस्थल है।
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यह विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या व जनघनत्व वाला मरुस्थल है।
- , कोटा डोरिया :-
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इसे कोटा मसूरिया भी कहा जाता है।
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- भानगढ की किला :-
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यह अलवर राजस्थान में स्थित है।
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भानगढ को भूतहा किला माना जाता है
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इसका निर्माण 1573 में आमेर के राजा भगवंत दास ने करवाया था।
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इस पर शार्ट फिल्म बनी है।
- कुलथरा, आदि।
- महोत्सव :-
- मरु महोत्सव (जैसलमेर)
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तीन दिन का महोत्सव है जिसमें विभिन्न कार्यक्रम होते हैं
- थार महोत्सव (बाडमेर),
- ऊँट महोत्सव (बीकानेर)
- हाथी महोत्सव (आमेर, जयपुर ),
- मेवाड महोत्सव (उदयपुर)
- खाने में दाल बाटी चूरमा :-
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राजस्थान की विशेषता है और उत्तम राजस्थानी खाना भी।
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लगभग सभी उत्सवों, समारोहों आदि में बनाया जाता है।
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मुख्य सामग्री गेहूँ का आटा, घी बूरा है।
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- कोटा कचोडी:-
यह ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है जो एक सूफी संत थे। इन्हें हजरत ख्वाजा गरीब नवाज भी कहते हैं।
इस रबर से बने कृत्रिम पैर का निर्माण डॉ प्रमोद करण सेठी के मार्गदर्शन में श्री रामचन्दर शर्मा ने 1969 मे किया।
जिनका पैर घुटने के नीचे से क्षतिग्रस्त अथवा कटा हो उन लोगों के लिए यह पैर उपर्युक्त है।
पश्चिम का रेतीला मैदान जो थार का मरुस्थल कहलाता है राजस्थान के 61% भाग पर फैला हुआ है। तथा यहां राजस्थान की 40% जनसंख्या निवास करती है।
यह विश्व का नवीनतम मरुस्थल है।
यह विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या व जनघनत्व वाला मरुस्थल है।
इसे कोटा मसूरिया भी कहा जाता है।
यह अलवर राजस्थान में स्थित है।
भानगढ को भूतहा किला माना जाता है
इसका निर्माण 1573 में आमेर के राजा भगवंत दास ने करवाया था।
इस पर शार्ट फिल्म बनी है।
तीन दिन का महोत्सव है जिसमें विभिन्न कार्यक्रम होते हैं
राजस्थान की विशेषता है और उत्तम राजस्थानी खाना भी।
लगभग सभी उत्सवों, समारोहों आदि में बनाया जाता है।
मुख्य सामग्री गेहूँ का आटा, घी बूरा है।
तीखी , चटपटी,मसालेदार बहुत ही स्वादिष्ट कचौडी जो मूंग या उडद की दाल से बनी होती है, साथ में चटनी भी होती है।
संदर्भ :समस्त चित्र गूगल से।विकिपीडिया।राजस्थान पत्रिका
राजस्थान सुजस, मेरे नोट्स।
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