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बुद्धि बड़ी या पराक्रम

 बुद्धि बड़ी या पराक्रम

 




एक बहुत ही विशाल वटवृक्ष का पेड़ था।  उस पर  
कौआ कौवी   रहते थे । और उसी वटवृक्ष के नीचे एक बिल में सांप भी रहता था ।

वह सांप बड़ा ही दुष्ट था ,क्योंकि  वह कौवी के छोटे छोटे बच्चों को पंख निकलने से पहले ही खा  जाता था।  इस कारण वह दोनों बहुत ही दुखी थे । एक दिन वह दोनों पास में रहने वाले एक चतुर सियार के पास गए ।

और अपनी सारी व्यथा सुनाई 

तथा कुछ उपाय बताने को कहा ।  इस पर  चतुर ने कुछ देर सोचा फिर वह बोला कि तुम एसा  करो पास में  एक राजा  का महल है।वहाँ जाओ और वहाँ से रानी का हार चुरा लाओ व  इस सांप के बिल में डाल दो।

जब राज्य के सिपाही हार को ढूंढते हुए  आएंगे और हार उन्हें इस सांप के बिल में मिलेगा तो वह सोचेंगे कि  हार इस सांप ने ही चुराया है। और वह उसे मार देंगे । कौआ कौवी ने एसा  ही किया ।


उन्होंने वह हार चुरा कर सांप के बिल में डाल दिया । और जब राजा के सिपाही आए तो उन्होंने उस सांप को मारा और वह हार ले लिया ।

इस तरह उन्हे उस दुष्ट सांप से छुटकारा मिल गया । और वह खुशी खुशी रहने लगे ।

शिक्षा – इससे यह शिक्षा  मिलती है कि हमें किसी भी समस्या को सुलझाने मे पराक्रम का नहीं बल्कि बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए ।   

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