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Jhansi ki raani Laxmi baai

रानी लक्ष्मी baai
                          रानी लक्ष्मी बाई
                             (1827-1848)

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता बहुत  ही सटीक bethat बेठती है कि . .... ......
           बुंदेले हर बोलो के मुंह  हमने सुनी कहानी थी।
             खूब लड़ी मर्दानी , वो तो झांसी वाली रानी थी. .........



रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 1827 में हुआ। . इनको बचपन में  प्यार से मनु कहते थे। . ये मराठा ब्राह्मण कुल से थी . 1842 में झांसी के अंतिम मराठा राजा गंगाधर राव से इनका विवाह हुआ। . किन्तु नियति को कुछ और ही मंजूर था गंगाधर राव की मृत्यु उत्तराधिकारी के अभाव में ही हो गयी और ये कम उम्र में  ही विधवा हो गयी।
         भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहोजी ने उनके दत्तक पुत्र दामोदर राव को उत्तराधिकारी मनाने से मना कर दिया।और अपनी डक्ट्रेन ऑफ लेप्स की नीति के तहत 1854 में झांसी को ब्रिटिश एंपायर में विलय कर लिया।
रानी ने फैसले कॊ बदलवाने की हर सम्भव कोशिश की लेकिन फैसला नहीं बदला। . रानी बहुत  नाराज हुई। .
      1857 में लक्ष्मी बाई को झांसी का शासक घोषित कर दिया गया।
             4 जून 1857 को झांसी में विद्रोह शुरू हुआ , रानी ने विद्रोहियों का बड़े साहस के साथ नेतृत्व किया। और वह विद्रोह की प्रमुख नेता बन गयी।वह सेनिक वेशभूषा में थी उनकी सखियाँ काना और  मंदरा उनके संग थी। . परंतु झांसी एक पतन के बाद वह ग्वालियर के लिए प्रस्थान कर गयी।
 ग्वालियर में तात्या टोपे  के साथ विद्रोह का किया उन्होने कई जगह अंग्रेजों को परास्त किया।
   अंत में ग्वालियर के किले पर गवर्नर जनरल ह्यूरोज से लड़ते लडते 1958 को वीर गति को प्राप्त हुई । 3 अप्रैल 1958 को अंग्रेजों ने झांसी पर अधिकार कर लिया।
                           गवर्नर जनरल ह्यूरोज ने रानी लक्ष्मी बाई की डेथ पर कहा था कि "भारतीय क्रांतिकारियों में यहाँ सोई हुई औरत अकेली मर्द है। ".

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