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स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की विशेषता और उसका विरोध



 स्टेच्यू ऑफ यूनिटी ःः-


31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137 वीं जयंती पर गुजरात के   उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नर्मदा जिला (गुजरात) में सरदार वल्लभ भाई पटेल के स्मारक का शिलान्यास किया व सरदार पटेल की लौह निर्मित मूर्ति लगाने की बात कही, तथा इस स्मारक का नाम स्टेच्यू ऑफ यूनिटी रखा। 31/10/2018को मूर्ति का अनावरण किया गया है।

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का विवरण :-


  • स्थान-वडोदरा के पास नर्मदा जिले में सरदार सरोवर की केवडिया कॉलोनी गांव 
  • शिल्पकार-राम वी. सुतार (82 वर्ष ),                                           पद्म भूषण से सम्मानित 
  • निर्माता कंपनी-लार्सन एंड टूब्रो
  • खर्च - 2969करोड रुपये
  • वजन-1700 टन
  • ऊंचाई - 182 मी. /522 फिट
  • सामग्री - चार धातुओं का मिश्रण, 85%तांबा
  • निर्माण अवधी-5 वर्ष

  • स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की विशेषताएं :-


  • 182मी.ऊंची स्टेच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की विशालतम प्रतिमा है।
  • इसके पैर 80फिट,हाथ 70फिट,कंधे 140फिट,और चहरे की ऊंचाई 70फिट है। 
  • इसके अन्दर हीइटैक लिफ्ट बनी हुई है। 
  • भूकंप रोधी तकनीक से निर्मित अत:इस पर भूकंप का कोई असर नहीं होगा।
  • 220कि.मी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाएं इस पर बेअसर हैं। 
  • इस पर जंग भी नहीं लगेगा क्योंकि यह जंगरोधी है। 
  • मूर्ति का त्रिस्तरीय आधार है इसमें छत, छज्जा, प्रदर्शनी फ्लोर है।
  •  नदी से 500 फीट ऊंचा आब्जर्वर डेक का निर्माण किया गया है ।
  • एक आधुनिक पब्लिक प्लाजा भी है।
  • सार्वजनिक व निजी साझेदारी से बना है। मूर्ति पर अभी  कांसे का परत चढाना शेष है।
  • स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का विरोध :-
  • स्थानीय लोगों द्वारा भूमि अधिग्रहण का विरोध किया गया है उनके अनुसार यह धार्मिक महत्व का स्थान है । 
  • पर्यावरणविदों का विरोध इसलिए था कि उनके अनुसार इस मूर्ति का निर्माण बिना पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति के हुआ है। 
  • केवडिया  कोठी, वघालिया, लिम्बाडी, नवगांव, गोरा गांव के ग्रामीण ने भी विरोध किया  उनके अनुसार यह भूमि किसी दूसरे कार्य को लिए अधिग्रहित की गयी थी। 
  • स्टेच्यू ऑफ यूनिटी स्थापित करने के लिए नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने सरकारी कम्पनीयों से मिली राशी पर सवाल उठाए हैं । कैग की रिपोर्ट के अनुसार मूर्ति के लिए फंड जारी करना सीएस आर (कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व) के दायरे में नहीं आते हैं। 
  • इससे 162से अधिक छोटी सिंचाई परियोजना का पुनरुद्धार ,425 छोटे बांध,6 IIT,5 IIM,6इसरो केन्द्र बनाए जा सकते थे । 
  • संदर्भ :-चित्र गूगल से, देनिक भास्कर. कोम, NDTVइडिया, विकीपीडिया, राजस्थान पत्रिका । 
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